
संस्कार सम्मेलन 2025
संविधान और संस्कृति
नॉलेज पार्टनर “पाञ्चजन्य”
आयोजन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
साल 2025 में हम भारतीय गणतंत्र के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का उत्सव मना रहे हैं। यह अवसर न केवल भारतीय संविधान की सफलता का प्रमाण है, बल्कि यह हमारे समाज, संस्कृति, और परंपराओं में संविधान के आदर्शों की गहरी जड़ों को भी दर्शाता है।भारत, एक ऐसा देश है जिसकी नींव विविधता, समरसता और संस्कृति के अनमोल खजाने पर टिकी हुई है। हमारे संविधान ने इस विविधता को संरक्षित करते हुए सामाजिक न्याय, समानता, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकारों को सुनिश्चित किया।
वहीं, भारतीय संस्कृति ने अपनी परंपराओं और संस्कारों के माध्यम से परिवार, समाज, और राष्ट्र को नैतिकता, कर्तव्य और अनुशासन का मार्ग दिखाया। संस्कार सम्मेलन 2025, प्रयागराज के महाकुंभ जैसे पवित्र अवसर पर आयोजित किया जा रहा है, ताकि संविधान और संस्कारों के बीच समन्वय को उजागर किया जा सके। यह आयोजन इस विचार पर आधारित है कि भारतीय संविधान में समाहित आदर्श और भारतीय संस्कारों की गहन परंपराएं एक सशक्त और सुसंस्कृत समाज का निर्माण करती हैं।
मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि
इस संस्कार सम्मेलन में राधे श्याम चैरिटेबल फाउंडेशन की ओर से निम्नलिखित प्रमुख अतिथियों को आमंत्रित किया गया है, जिनकी उपस्थिति इस कार्यक्रम को और भी गौरवमयी बनाएगी।
राजनैतिक पृष्ठभूमि के अतिथि:
1. श्री कलराज मिश्र (पूर्व राज्यपाल)
2. श्री हितेश शंकर (संपादक पांचजन्य)
3. डॉ. रघुराज सिंह (श्रम एवं सेवायोजन मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार)
4. श्री गणेश केशरवानी (महापौर प्रयागराज)
पावन सानिध्य :
1. परमपूज्य सद्गुरु श्री ऋतेश्वर जी पीठाधीश्वर
2. परमपूज्य श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी






इन अतिथियों की उपस्थिति कार्यक्रम को और भी सम्मानित और प्रेरणादायक बनाएगी।
विषय: संविधान और संस्कृति
1. भारतीय संविधान और संस्कृति के संबंध को उजागर करना:
– भारतीय संविधान के उन आदर्शों और प्रावधानों को रेखांकित करना, जो भारतीय संस्कारों और सांस्कृतिक परंपराओं से प्रेरित हैं।
– यह समझाना कि कैसे संविधान और संस्कार एक साथ मिलकर समाज में नैतिकता, समानता और समरसता को बढ़ावा देते हैं।
2. संविधान और संस्कारों के माध्यम से सामाजिक समरसता को प्रोत्साहन:
– जाति, धर्म, और वर्ग से परे जाकर समाज में समानता और एकता को स्थापित करना।
– भारतीय संस्कारों और संविधान के सिद्धांतों के माध्यम से एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण।
3. भारतीय परंपराओं और आधुनिक संवैधानिक मूल्यों का सामंजस्य:
– यह दिखाना कि भारतीय संस्कार और परंपराएं समय के साथ कैसे विकसित हुई हैं और कैसे वे आधुनिक संवैधानिक मूल्यों के साथ संगत हैं।
– संस्कारों के माध्यम से समकालीन चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करना।
4. युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कारों और संविधान से जोड़ना:
– युवा पीढ़ी को यह समझाना कि भारतीय संस्कृति और संविधान में निहित आदर्श उनके जीवन और समाज के लिए कितने प्रासंगिक हैं।
– नई पीढ़ी में भारतीय परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों के प्रति गर्व और जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न करना।
5. महाकुंभ के सांस्कृतिक महत्व को संवैधानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना:
– महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन को भारतीय संविधान में निहित सांस्कृतिक संरक्षण और आध्यात्मिक एकता के आदर्शों के साथ जोड़ना।
6. संस्कारों के माध्यम से समाज में नैतिकता और कर्तव्यपरायणता का प्रसार:
– भारतीय संस्कारों जैसे गर्भाधान, नामकरण, विवाह और अंत्येष्टि के माध्यम से जीवन के हर चरण में नैतिक मूल्यों और समाज के प्रति जिम्मेदारी का महत्व बताना।
– संविधान में निहित मूल कर्तव्यों (अनुच्छेद 51A) को संस्कारों के संदर्भ में समझाना।
7. पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण को बढ़ावा देना:
– भारतीय संस्कारों के पर्यावरण-अनुकूल पहलुओं को उजागर करना और उन्हें संविधान के अनुच्छेद 48A (पर्यावरण संरक्षण) से जोड़ना।
– पर्यावरणीय स्थिरता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करना।
8. भारतीयता के गौरव को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करना:
– भारतीय संविधान और संस्कृति के आपसी संबंधों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करना।
– यह दिखाना कि भारतीय संस्कार और संविधान न केवल भारत के लिए प्रासंगिक हैं, बल्कि मानवता के लिए एक मार्गदर्शक भी हैं।
संस्कार सम्मेलन 2025 का उद्देश्य भारतीय संविधान और संस्कारों के बीच की गहरी कड़ी को पहचानना, उसका सम्मान करना और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है। यह सम्मेलन सामाजिक समानता, सांस्कृतिक गर्व, और संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देकर एक नैतिक और प्रगतिशील समाज का निर्माण करने का मार्ग प्रशस्त करेगा
प्रयागराज में आयोजन का विशेष महत्व
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। यह स्थान न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। यहाँ पर संस्कार सम्मेलन 2025 का आयोजन विशेष रूप से महत्व रखता है, और इसके कई पहलुओं को समझना आवश्यक है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
प्रयागराज, त्रिवेणी संगम का स्थल है, जहाँ गंगा, यमुन और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। यह स्थान हिन्दू धर्म के प्रमुख
तीर्थस्थलों में से एक है, और यहां हर साल कुम्भ मेला आयोजित होता है। कुम्भ मेला एक ऐसा अवसर है, जहाँ लाखों लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं और संस्कारों को लेकर यहाँ एकत्रित होते हैं। इस दृष्टिकोण से, प्रयागराज में संस्कार सम्मेलन का आयोजन भारतीय संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण और प्रचार-प्रसार करने के लिए एक उपयुक्त स्थान है।
महाकुंभ का सांस्कृतिक संगम:
प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होता है और यह भारत की सबसे बड़ी धार्मिक सभा मानी जाती है। यह आयोजन दुनिया भर के हिंदू धर्मावलंबियों को आकर्षित करता है और यहां पर भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता को प्रदर्शित किया जाता है। संस्कार सम्मेलन 2025 इस विशेष सांस्कृतिक और धार्मिक संगम के साथ मेल खाता है, जो भारतीय संविधान और संस्कारों की सामूहिक चेतना को जागरूक करने का एक शानदार अवसर है।
संविधान और संस्कृति का मिलाजुला संदेश:
प्रयागराज का ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह भारतीय संविधान और संस्कृति का एक आदर्श संगम है। यहाँ पर विविधता में एकता का प्रतीक देखा जाता है, जहाँ विभिन्न धर्म, संस्कृतियाँ और परंपराएँ एक साथ मिलकर सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। संविधान और भारतीय संस्कारों के सिद्धांतों को यहाँ से जोड़कर, यह सम्मेलन भारतीय समाज में न्याय, समानता और समरसता के संवैधानिक आदर्शों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
शिक्षा और जागरूकता का केंद्र:
प्रयागराज शिक्षा का भी प्रमुख केंद्र है, यहाँ पर विश्व प्रसिद्ध कुम्भ स्नान के साथ-साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षिक संस्थान स्थित हैं। इस दृष्टिकोण से, यह स्थल शिक्षा और जागरूकता के प्रसार के लिए आदर्श है। सम्मेलन के माध्यम से भारतीय संविधान और संस्कारों के महत्व को समझाना और उन्हें व्यवहार में लाना, यहाँ की युवा पीढ़ी और समाज को जागरूक करने में मदद करेगा।
संविधान और संस्कार के आदर्शों का उदाहरण:
प्रयागराज का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व यह है कि यह भारतीयता की सबसे गहरी जड़ों से जुड़ा हुआ है। यहाँ के संस्कारों और परंपराओं ने समाज के प्रत्येक वर्ग को समानता, बंधुत्व और सांस्कृतिक आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा दी है। इस सम्मेलन के द्वारा हम इन परंपराओं को संविधान के आदर्शों के साथ जोड़कर एक ऐसे समाज का निर्माण करने का मार्गदर्शन कर सकते हैं, जो भारतीय मूल्य और संविधान दोनों का सम्मान करता हो।
राष्ट्रीय एकता का प्रतीक:
प्रयागराज भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले लोगों का संगम स्थल है। यहाँ पर विभिन्न भाषाएं, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान एक साथ मिलती हैं। यही कारण है कि यहाँ आयोजन का महत्व विशेष है, क्योंकि यह सम्मेलन भारत के विभिन्न हिस्सों से जुड़े नागरिकों को एक साझा मंच पर लाकर राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विविधता को प्रकट करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।
प्रयागराज का चयन इसलिए किया गया है कि यहां की पवित्रता और दिव्यता इस सम्मेलन को विशेष शक्ति और ऊर्जा प्रदान करेगी। इस स्थान की धार्मिक महत्ता भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही आस्था और विश्वास को पुनः सशक्त बनाने में सहायक होगी।
कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियाँ:
संस्कृति और परंपरा:
- प्रमुख वक्ता भारतीय संविधान और संस्कृति के विषय में उद्घाटन भाषण देंगे। इसमें संविधान के प्रमुख सिद्धांतों और भारतीय संस्कारों की परंपरा के बीच के संबंध को स्पष्ट किया जाएगा।
- भारतीय संस्कृति के संस्कार आधुनिक संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप कैसे विकसित हो सकते हैं।
- कार्यशाला: संविधान के मूल कर्तव्यों को अपनाने के लिए संस्कारों का महत्व
- इंटरएक्टिव सत्र: सहभागी नागरिकों को संविधान में निहित कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया जाएगा और उन्हें यह बताया जाएगा कि भारतीय संस्कार इन कर्तव्यों को अपने जीवन में कैसे अपनाए, खासकर पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता, और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम
समाज के प्रति आह्वान
संस्कार सम्मेलन 2025 का संदेश है—हमारी परंपराएँ केवल अतीत की धरोहर नहीं हैं, बल्कि वे हमारे वर्तमान और भविष्य की नींव भी हैं। यह हमारा आह्वान है कि हम सब मिलकर इस आयोजन में सहभागी बनें और भारतीय संस्कृति की महानता और उसके मूल्यों को पुनर्जीवित करें।
दिनांक: 2 फरवरी, 2025
समय: अपराह्न 2:00 बजे
स्थान: सभागार, इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और मूल्यों को संरक्षित करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
आपका यह प्रयास हमारी सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ करने और नई पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ने की दिशा में प्रेरणादायक है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि यह सम्मेलन सफलता की नई ऊंचाइयों को छुए और इसमें भाग लेने वाले सभी को मार्गदर्शन, प्रेरणा, और समृद्धि प्रदान करे।
आपके इस नेक कार्य में हम सभी आपके साथ हैं और आपके द्वारा किए जा रहे इस प्रयास को हृदय से सराहते हैं।
सादर शुभकामनाएं,
धन्यवाद अमित जी
Wishing the Sanskar Sammelan by Radhey Shayam Charitable Foundation a grand success. May it create a ripple effect of positivity and cultural revival.
My best wishes to the Sanskar Sammelan. May this event nurture a sense of responsibility, heritage, and empowerment among all participants.
Congratulations Radhey Shayam Charitable Foundation on organizing the Sanskar Sammelan. May it inspire self-dependence, unity, and pride in our cultural values.
प्रिय सौरभ त्रिपाठी जी,
संस्कार सम्मेलन जैसे अद्भुत और सराहनीय पहल के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं। यह आयोजन हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सहेजने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। आपके इस प्रयास से न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम भी होगा।
ईश्वर से प्रार्थना है कि आपका यह आयोजन सफल हो और आपकी यह पहल समाज को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
सादर,
अक्षत यादव
गुरुग्राम
Heartfelt best wishes to Radhe Shayam Charitable Foundation for the success of their upcoming Sanskar Sammelan. May this noble initiative inspire and uplift countless lives, fostering values and traditions that bring harmony and positivity to the community. Wishing the entire team great success and immense blessings in their efforts…
Thankyou Vardhaman
Best wishes and congratulations to Radhe Shayam Charitable Foundation for organising Sanskar Sammelan 2025
A very heartfelt congratulations to Radhe Shayam Charitable Foundation for the success of their upcoming Sanskar Sammelan. May this sammelan be a grand success.
May this gathering be a source of wisdom, inspiration, and spiritual enrichment. May the teachings and traditions shared here foster a deeper connection to our values and strengthen the foundation of our lives. As we come together in unity and devotion, may we be blessed with peace, prosperity, and a greater sense of purpose.
Wishing you all a meaningful and transformative Sanskar Sammelan. May it bring growth, harmony, and positivity to your lives and community.
With warm regards and best wishes!
–
Anand