संविधान और संस्कृति" का ऐतिहासिक संगम
भारतीय मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों का अद्भुत समन्वय
वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज में राधे श्याम चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में संस्कार सम्मेलन 2025 का भव्य आयोजन हुआ। इस वर्ष सम्मेलन का विषय था “संविधान और संस्कृति”, जिसमें देश की सांस्कृतिक और संवैधानिक विरासत पर गहन मंथन किया गया।
मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल श्री कलराज मिश्र जी ने वेदों का उदाहरण देते हुए बताया कि हमारी संस्कृति और संविधान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान को बदलने की कोशिशों की अफवाहें निराधार हैं और अनुच्छेद 370 जैसी राष्ट्र-विरोधी व्यवस्थाओं को हटाना राष्ट्रहित में एक महत्वपूर्ण कदम था।
पांचजन्य पत्रिका के संपादक श्री हितेश शंकर जी ने कहा कि हमारा संविधान किसी भी विचारधारा से बंधा नहीं है, बल्कि इसकी आत्मा इतनी सशक्त है कि कोई इसे हिला नहीं सकता। उन्होंने बताया कि संविधान हमारे जीवन को जन्म प्रमाण पत्र से मृत्यु प्रमाण पत्र तक बांधता है, लेकिन हमारे संस्कार हमें जीवन से पहले और मृत्यु के बाद तक धर्म से जोड़े रखते हैं।
परम पूज्य सद्गुरु श्री ऋतेश्वर जी ने डिजिटल माध्यम से जुड़े और कहा कि जब तक हम अपने संस्कारों को नहीं समझेंगे, तब तक संविधान के सार को भी समझना कठिन होगा।
विशेष अतिथि महापौर श्री गणेश केशरवानी जी ने युवाओं के लिए इस विषय को एक महत्वपूर्ण सीख बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अव्यक्त राम त्रिपाठी जी ने की, और स्वागत भाषण में श्रीमती शशी त्रिपाठी जी ने सम्मेलन की भूमिका पर प्रकाश डाला।
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों लोग प्रत्यक्ष रूप से और देश-विदेश से अनेकों लोग डिजिटल माध्यम से जुड़े।
कार्यक्रम के समापन पर आयोजक श्री सौरभ त्रिपाठी जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
संस्कार और संविधान का यह संगम, हमारी परंपरा और भविष्य का सेतु है!
संविधान और संस्कृति
श्री कलराज मिश्र जी:
मुख्य अतिथि (पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार)
श्री हितेश शंकर :
विशिष्ट वक्ता (सम्पादक पाञ्चजन्य )
पूज्य सद्गुरु श्री ऋतेश्वर जी महाराज:
पावन सानिध्य (आध्यात्मिक मार्गदर्शक, प्रेरक वक्ता और लेखक)
श्री अव्यक्त राम मिश्र :
अध्यक्षता
श्री सौरभ त्रिपाठी :
धन्यवाद ज्ञापन
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